Thursday, December 2, 2010

बिहार में शकीरा

बिहार के जमालपुर में शकीरा का डांस होनेवाला था, और मेरे थोड़े जवान चाचा-चाची और भाइयों ने सुबह से ही तैयारी चालू कर दी थी. उत्सव का माहौल. क्या कहने! परंतु जब सही समय आया तो मैं ज्यादा देख नहीं पाया. कुछ शोर-गुल ही इतना था, और देखने वाले भी काफी हुड़दंग मचा रहे थे. फिर भी लगा कि लोग मस्त थे. गोरी चमड़ी को नजदीक से देखने का लुत्फ कुछ अलग ही दिख रहा था सबके चेहरे से. मेरा बेटा भी मेरे साथ था. शकीरा जमालपुर से ट्रेन पकड़ रही है. साली ट्रेन काफी टूटी-फूटी है. मैं काफी शर्मिंदा हो रहा हूँ कि क्या हाल कर रखा है. भारत और खासकर फिर बिहार की तो फजीहत हो गई.

लेकिन उसी बीच बीबी की प्यार भरी आवाज सुनाई दी, आज चाय आप ही बनाएँ. शकीरा और संगीता. कुछ मैच नहीं किया. मैंने कहा, "धत्त तेरे की, क्या किया आपने. अभी शकीरा की नाच देख रहा था." नींद खोलने की कोशिश करते बीवी ने कहा कि आज तो लाइफ बन गई. सोना सफल हो गया होगा. अब चाय तो बनाइए. उठा. चाय चूल्हे पर चढ़ा दिया. यह भी गजब की बात है कि आला दर्जे का भाग्यवादी होने के बावजूद मैं कार्य-कारण की बिना सोचे रह नहीं पाता. सोचने लगा कि पता नहीं क्यों शकीरा का सपना देखा. कोई दूसरा सपना देखता तो शायद दूसरे पल ही दिमाग से निकाल देता, लेकिन शकीरा को और वह भी बिहार में नाचती हुई!

सोचने लगा तो मुझे लगा कि कई कारण हो सकते हैं. इधर कुछ दिन पहले ही बिग बॉस में श्वेता तिवारी से मनोज तिवारी शकीरा के लटके-झटके के बारे में अपना जनरल नॉलेज बढ़ा रहे थे. शायद इसका असर हो. फिर ध्यान आया कि कल ही तो मोज़िल्ला मीट का एक वीडियो फेसबुक पर देखा था. श्रीलंका के दनिश्का ने लगाया था. उस वीडियो में वह कन्या भी थी जो मुझे कनाडा में उस कॉन्फरेंस में मिली थी और देश पूछने पर छूटते ही बताया था कि वह कोलंबिया की है...वही कोलंबिया जहाँ की शकीरा है. मैंने कहा भी था हाँ हाँ वही कोलंबिया न जहाँ के मार्केज़ हैं. वह बोली थी - हाँ, हाँ वो भी हैं. मुझे दुख भी हुआ था कि वह अगर मार्केज़ बताती तो और अच्छा लगता. मार्केज़ का भी तो कल या परसों ही तो इंटरव्यू पढ़ा था अपने प्रभातजी के खूबसूरत अनुवाद में. शायद यही गुत्थी हो. फिर लगा कि लगता है कि सपने में शकीरा कुछ नहीं, बस मेरी सठियाती जवानी की 'बेहूदी' ख्वाहिश हो सकती है. और कुछ नहीं. फिर याद आया कि आजकल मेरी 'टपोरी' बीवी गाना गुनगुनाते रहती है, शकीरा से भी ज्यादा तेरी हिले नथुनी...शायद कुछ इसी कारण शकीरा को हिलते देखने की इच्छा हो गई होगी.

लेकिन पता नहीं क्यों कोई कारण मुझे कनविंस नहीं कर पा रहा था. हमलोग पीते हैं लप्चू चाय. उसे बनाकर कुछ देर तक के लिए ढक दिया था पत्ती के फूलने के लिए ताकि महक बढ़िया आए. ये कारण तो मुझे ठीक लग रहे थे, सिर्फ एक कोण था जो समझ में नहीं आ रहा था कि शकीरा पुणे आ सकती थी, मुंबई आ सकती थी, वह बिहार क्यों गई...जमालपुर. एकाएक अविनाशजी की फेसबुक की टिप्पणी याद आने लगी, "बिहारवाद बबुआ धीरे-धीरे आयी... नीतीशवा से आयी, सुशीलवा से आयी... बिहारवाद बबुआ हौले-हौले आयी...". तो क्या मेरे दिमाग में भी बिहारवाद जोर मारने लगा है. कहीं मैं यहाँ पुणे में रहते इतना त्रस्त तो नहीं हो गया हूँ
कि लगा कि बिहार को एकाएक विकसित बना देने का एक ही तरीका बचा है कि शकीरा को बिहार में नचाया जाए थोड़ी ठेठ जगह पर. या फिर नीतीश बाबू के परिणाम से इतना स्तब्धकारी आह्लाद में आ गया हूँ कि लगा कि नीतीशजी ने लोकतंत्र की विजय के आनंद में चार चाँद लगाने के लिए शकीरा को बिहार में नाचने के लिए आमंत्रित किया है. वैसे इससे पहले के जो तथाकथित प्रकार के नाच थे वो "राणाजी मुझको माफ करना" टाइप के थे और उसका मजा आम लोग नहीं ले पाए थे. इस तथाकथित नाच की चर्चा आज भी गली-गली में है और लोग बेहद दुखी हो जाते हैं यह सुनाते हुए कि कैसे 'बस कुछ लोगों' ने 'एक करोड़' की उस नाच का मजा लिया था.

मेरी बीवी बोली कि थोड़ी कम ही चीनी मिलाना. आज तो शकीरा भी थोड़ी सी चाय में मिल ही गई होगी. मैं समझ गया. चाय छानने लगा. लेकिन सपने दिमाग से जा नहीं रहे थे. सपने में मैं 'अग्निलोमड़' ममता बनर्जी को गलियाँ दे रहा था कि उसने बिहार की इज्जत मिट्टी में मिला दी. जानबूझकर उसने ऐसी ट्रेन दी होगी. शकीरा को कितनी दिक्कत हो रही होगी उस ट्रेन में. किसी ने उधर से बोला था कि अब तो भागलपुर में मैकडोनाल्ड भी खुल गया है. और मेरा 'नालायक' बेटा जिद मचाने लगा कि वह मैकडोनाल्ड जाएगा. और मैं हमेशा की तरह बेटा की जिद के आगे झुक गया. और हमलोग भागलपुर की ओर चल पड़े.

Friday, November 26, 2010

फ़्यूल तेलुगु मीट काफी सफल रहा

फ़्यूल तेलुगु मीट काफी सफल रहा है. शायद पहली बार कंप्यूटर शब्दों के मानकीकरण की कोशिश की गई है तेलुगु में. अर्जुन, पवित्रण और कृष्णा जैसे लोगों ने इसके लिए काफी मशक्कत की और उसका परिणाम हमें काफी अच्छा मिला. अधिक जानकारी के लिए यहाँ देखें. आचार्य नागार्जुन विश्वविद्यालय में हुए इस मीट के कुछ फोटो साझा कर रहा हूँ.
 इसमें विश्वविद्यालय के कई प्रोफेसरों और छात्रों ने हिस्सा लिया. दो दिनों तक काफी चर्चा और सलाह मशविरे के बाद फ्यूल शब्दावली की सूची तैयार की गई. खास बात यह है कि इसके बाद तेलुगु कंप्यूटरी में लगे लोग इसका इस्तेमाल अपने अनुवाद आदि कार्यों में करेंगे जिससे कि एक स्तर पर मानकीकृत शब्दावली का उपयोग हो पाए.
इसमें भाग लेने वालों में कुछ महत्वपूर्ण चेहरे हैं- डा. एम. सत्यनारायण, डा. पी वाराप्रसाद, डा. माधवी, डा. ई प्रभावती और डा. एन वी कृष्णा राव जहाँ तेलुगु के प्रोफेसर हैं वहीं डा. के. सत्यनारायण संस्कृत के प्रोफेसर हैं. पवित्रण इंडलिनक्स से जुड़े हैं और अर्जुनराव विकीपीडिया से. कृष्णा ने तेलुगु लोकलाइजेशन के काम में अनुवाद के माध्यम से सर्वाधिक योगदान दिया है. सबका शुक्रिया और सभी को मेरी बधाई.

Tuesday, November 23, 2010

फ़ायरफ़ॉक्स 4 के लिए काम चालू - अपना सुझाव भेजें

अनुवाद एक जटिल काम होता है...और मेरा तो मानना है कि अनुवाद के काम में फ़ीडबैक की कुछ अधिक ही जरूरत होती है. फ़ायरफ़ॉक्स का उपयोग काफी होता है और इसे खासकर हिन्दी में काफी डाउनलोड भी किया जाता है. फ़ायरफ़ॉक्स 4 के लिए काम चालू हो गया है. इसलिए जो कोई फ़ायरफ़ॉक्स हिन्दी या मैथिली में उपयोग कर रहे हैं, उनसे अनुरोध है कि वे हमें अपनी प्रतिक्रिया भाषाई समस्या या सुधार के परिप्रेक्ष्य में मुझे भेजें. मैं आपकी प्रतिक्रिया के आधार पर उसे सुधारने की कोशिश करूँगा. स्क्रीनशॉट के साथ अगर संदेश भेजें जिसमें समस्या है और साथ ही सुझाव भी दिए गए हों तो क्या कहने. आप मुझे सीधे ईमेल भी जीमेल के इस आईडी पर कर सकते हैं - rajesh672. यदि कोई तकनीकी समस्या है तो हमें तो भेज सकते हैं लेकिन बेहतर होगा कि वहाँ पर सीधे इस संबंध में बग फ़ाइल करें.

Thursday, September 16, 2010

यह साइट सिर्फ फ़ायरफ़ॉक्स में खुलती है!

पुणे पुलिस की साइट को गणपति विसर्जन के दौरान यातायात व्यवस्था को जानने के लिए अगर आप क्लिक करें तो आपको खुशी होगी कि खासकर तब जब आप फ़ायरफ़ॉक्स को पसंद करते हैं तो ज्यादा होगी क्योंकि साइट संदेश देता है कि यह साइट इंटरनेट एक्सप्लोरर पर नहीं चलता है और आप फ़ायरफ़ॉक्स का उपयोग करें. आपने अबतक ऐसी कई साइटें देखी होगी जो इंटरनेट एक्सप्लोरर के लिए ऐसी घोषणा करती है और आप परेशान होते हैं और गर विंडोज के यूजर हैं तो आप एक्सप्लोरर खोलते हैं. यहाँ उल्टा है...यह साइट अपनी समर्थित साइट में केवल फ़ायरफ़ॉक्स मानती है.

अच्छा-बुरा क्या कहें लेकिन चलिए इसे फ़ायरफ़ॉक्स की लोकप्रियता का एक सबूत मानते हैं...

Monday, September 6, 2010

नवनीता देव सेन से बातचीत


लोकलाइजेशन के क्षेत्र में कूदने के पहले मैं पत्रकार हुआ करता था और उस दौरान कई लेखकों, कलाकारों के मैंने साक्षात्कार लिए थे. उसी में से एक महत्वपूर्ण साक्षात्कार मैंने नवनीता देव सेन का लिया था, लिटिल मैगजीन की संपादिका उनकी पुत्री के मयूर विहार दिल्ली के आवास पर. आप इसे पढ़ें. उम्मीद है पसंद करेंगे.



पहला भाग:

इतिहास, समाजशास्त्र और साहित्य की रिक्तताओं को भर रही हैं लेखिकाएँ – नवनीता देव सेन

दूसरा भाग:

राजनैतिक महिलाएँ मर्दों के ही खेल खेल रही हैं – नवनीता देव सेन

Wednesday, September 1, 2010

फ़ायरफ़ॉक्स मैथिली में तैयार है...

जाना-माना लोकप्रिय वेब ब्राउज़र फ़ायरफ़ॉक्स मैथिली में तैयार है. हमलोगों कुछ वर्ष पहले मैथिली में पूरा का पूरा कंप्यूटर तैयार करने की आकांक्षा पाली थी और खुशी है कि हम इसे पूरा कर पा रहे हैं. इसका उपयोग कीजिए और बताइए कि कहाँ-कहाँ हम इसे सुधार सकते हैं.

हम पहले ही फेडोरा, गनोम, केडीई जैसे मुक्त स्रोत सॉफ़टवेयरों को मैथिली में ला चुके है. फ़ायरफ़ॉक्स लोकप्रिय है. उम्मीद है कि मैथिली जानने वाले लोग हमें अपने सुझावों के रूप में योगदान देंगे.


डाउनलोड करें —

फ़ायरफ़ॉक्स मैथिली - विंडोज़ मशीन के लिए
फ़ायरफ़ॉक्स मैथिली - लिनक्स मशीन के लिए
फ़ायरफ़ॉक्स मैथिली - मैक मशीन के लिए

अगर आप संस्थापित नहीं करना चाहते हैं तो उदाहरण के लिए आप विंडोज वाली लिंक डाउनलोड करें और अपने पहले के खुले फ़ायरफ़ॉक्स बंद कर अनजिप करके फ़ायरफ़ॉक्स चलाएँ.
अधिक विकल्पों के लिए लोकेल नाम mai खोज कर  यहाँ से डाउनलोड करें.

आपके सुझाव की प्रतीक्षा में

मैथिली कंप्यूटरीकरण टीम