Tuesday, February 4, 2014

जानकीपुल पर मेरे बेटे अमृत की कविताएँ

मेरे ग्यारह साल के बेटे अमृत की कविताएँ जब हिन्दी के जाने-माने साइट जानकीपुल पर छपी तो एकबारगी विश्वास नहीं हुआ। जानकीपुल हिन्दी साहित्य के गंभीरतम आलेखों, कविताओं, और चर्चाओं का प्रमुख अड्डा है। कविता में अमृत की रुचि है और वह काफी समय से लिख रहा है, लेकिन जानकीपुल पर भेजने में मैं काफी हिचक रहा था। मशहूर कथाकार प्रभातजी का शुक्रिया कि उन्होंने अपनी खूबसूरत मॉडरेटर टिप्पणी के साथ इसे छापा और मुझे लिखा भी कि अमृत में मौलिक प्रतिभा है और इसे बनाए रखिए।

माँ-बाप होने के नाते हमें अमृत की लिखी कविताएँ अच्छी तो लगती थीं लेकिन इतनी जबरदस्त प्रतिक्रिया आएगी सोचा भी नहीं था। प्रभातजी ने बताया कि इसकी कविताओं ने पेज व्यूज़ के पिछले सारे सालों के रिकार्ड को महज चंद दिनों में पीछे छोड़ दिया है। फेसबुक और साइट के पेज पर की गई टिप्पणियाँ बेहद सकारात्मक हैं। अमृत बहुत खुश भी  है। एक बार फिर प्रभातजी का शुक्रिया हमारी तरफ से।

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